Cloud Computing क्या है? क्लाउड कंप्यूटिंग के प्रकार, उपयोग और फायदे

जानिए क्लाउड कंप्यूटिंग क्या है और इसके कैसे फायदे हैं। इस आर्टिकल में आपको मिलेगी पूरी जानकारी।

आजकल इन्टरनेट पर आप क्लाउड कंप्यूटिंग के बारे में बहुत सुन रहे होंगे पर शायद आपको पता न हो लेकिन आप बहुत सारी Cloud services का उपयोग पहले से ही कर रहे है और आने वाले समय में इसका यूज़ और बढ़ने वाला है क्यूंकि धीरे धीरे सब कुछ ऑनलाइन होता जा रहा है।

Cloud computing kya hai

बिना क्लाउड कंप्यूटिंग के ये सब मुमकिन नहीं है क्या कभी अपने सोंचा कि आप जब भी कोई विडियो Youtube, Facebook पर देखते है तो वो आपकी फ़ोन या कंप्यूटर की मेमोरी में तो होता नहीं है फिर भी आप विडियो देख पाते है ये सब क्लाउड कंप्यूटिंग से ही सम्भव हुआ है।

इसकी मदद से आप अपनी जरुरी फाइल्स वीडियोस को क्लाउड स्टोरेज में सेव कर सकते है। इससे आपको फिजिकल कॉपी लेके चलने की जरूरत नहीं पड़ती है और आप कहीं भी जब चाहे उनको एक्सेस कर सकते है तो आज हम बात करेंगे What is cloud computing in hindi, Cloud computing in hindi क्या है।

क्लाउड कम्प्यूटिंग क्या है (What is Cloud computing in Hindi)

क्लाउड कंप्यूटिंग एक टेक्नोलॉजी है जिसमे आप इन्टरनेट के माध्यम से कंप्यूटिंग सर्विसेज का इस्तेमाल कर सकते है। जैसे- टूल्स, सर्वर, डाटा स्टोरेज, सॉफ्टवेर इसके साथ ही आप इन सबको मैनेज भी कर सकते है।

क्लाउड कंप्यूटिंग से पहले सॉफ्टवेर टूल्स और फाइल्स का इस्तेमाल करने के लिए आपको इन सब को अपने कंप्यूटर की हार्ड ड्राइव में रखना पड़ता था। लेकिन अब ये सब Cloud storage में रिमोटली सेव रहते है और इन सब का उपयोग करने के लिए आपके पास बस इन्टरनेट और एक डिवाइस होना चाहिए जिसकी हेल्प से आप क्लाउड से कनेक्ट हो पाए क्लाउड कंप्यूटिंग उन सभी लोगो के लिए बहुत अच्छा है, जो अपना बिज़नस शुरू करना चाहते है।

उनके पास बहुत ज्यदा पैसा नहीं है तो वो क्लाउड सर्विसेज ले सकते है जहाँ उन्हें कम पैसे खर्च करने पड़ेंगे और उनको खुद का इंफ्रास्ट्रक्चर सेटअप करने की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी। वो अपना सारा ध्यान अपनी सर्विसेज को अच्छा करने में लगा सकते है। अब हम जान गए है cloud computing kya hai तो अब बात करते है इनके टाइप्स के बारे में।

क्लाउड कम्प्यूटिंग के प्रकार (Types of cloud computing in Hindi)

क्लाउड कंप्यूटिंग भी कई प्रकार की होती है। इसीलिए एक ही तरह का क्लाउड सभी के लिए सही नहीं होता है क्योंकि सभी की requirement अलग होती है और इन्ही के अनुसार क्लाउड को 3 पार्ट्स में बंटा जाता है:-

  1. Public cloud
  2. Private cloud
  3. Hybrid cloud

Public cloud

इसके नाम से पता लगता है कि ये सभी के लिए उपलब्ध होता है जहाँ आप एक अमाउंट देकर पब्लिक क्लाउड की सभी सर्विसेज का इस्तेमाल कर सकते है। पब्लिक क्लाउड में हार्डवेयर सॉफ्टवेर और सिक्यूरिटी सभी कुछ Cloud provider के द्वारा मेन्टेन किया जाता है।

कस्टमर की जरूरत के हिसाब से इसकी कैपेसिटी को बढ़ा सकते है। आप इन सर्विसेज और अपने अकाउंट को एक वेब ब्राउज़र की हेल्प से मैनेज कर सकते है। जैसे- EC2, Google App engine,Azure

Private cloud

प्राइवेट क्लाउड को इंटरनल क्लाउड या कॉर्पोरेट क्लाउड भी कहते है। ये पब्लिक क्लाउड से थोड़ा महँगा होता है लेकिन इसमें सिक्यूरिटी और प्राइवेसी High level की प्रोवाइड की जाती है। इसकी स्पीड और कैपेसिटी काफी अच्छी होती है।

इसका इस्तेमाल बड़ी कंपनिया अपना खुद का डाटा सेंटर बनाने और मैनेज करने के लिए करती है। इसके अलावा कुछ कंपनिया थर्ड पार्टी सर्विस प्रोवाइडर से भी अपने प्राइवेट क्लाउड को होस्ट कराती है। प्राइवेट क्लाउड में सर्विस और इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट नेटवर्क के द्वारा मैनेज किया जाता है।

लोकेशन और मैनेजमेंट के Base पर प्राइवेट क्लाउड के भी दो प्रकार होते है:-

  1. On premise private cloud
  2. Outsourced private cloud

Hybrid cloud

हाइब्रिड क्लाउड पब्लिक और प्राइवेट क्लाउड का कॉम्बिनेशन होता है। इसमें डाटा, रिसोर्सेज, सॉफ्टवेर, टूल्स पब्लिक और प्राइवेट क्लाउड के बीच में शेयर किये जाते है। कुछ चीजें पब्लिक के लिए उपलब्ध होती है और कुछ प्राइवेट यूज़ के लिए जिसे कंपनी के यूजर द्वारा ही एक्सेस किया जा सकता है।

[ Hybrid Cloud = Public Cloud + Private Cloud ]

इन दोनों की सर्विस आपको एक साथ देने का काम करता है जिससे आपको दोनों को अलग अलग नहीं पड़ता है। एक से ही आपकी requirement complete हो जाती है। जैसे- Google drive, Office 365

Cloud computing कैसे काम करती है?

आप एक कंपनी में काम करते है जहाँ आपको ये देखना होता है कि सभी Employee के पास हार्डवेयर और सॉफ्टवेर हो जिससे उनको काम करने में कोई दिक्कत न आये लेकिन जब भी कोई नया यूजर आयेगा तो आपको उसके लिए सभी सॉफ्टवेर और उनके लाइसेंस मशीन में इनस्टॉल करके देने होंगे जो की एक मेहनत का काम है।

इस सब को खरीदने में काफी पैसे भी खर्च होते है कितना अच्छा होगा कि खुद आप को एक सिंगल एप्लीकेशन यूजर की मशीन में इनस्टॉल करनी पड़े जहाँ से लॉग इन करके वो सभी जरुरी सॉफ्टवेर और सर्विसेज का इस्तेमाल कर पायेगा जिसे आपको मैनेज भी नहीं करना है।

उसके लिए आपको केवल एक अमाउंट देना होगा वो भी खुद के सेटअप से बहुत कम इससे Over all cost भी कम होगी और अलग से कुछ भी मैनेज करने की जरूरत भी नहीं है।

क्लाउड कंप्यूटिंग सेवाएं (Cloud Computing Services)

Cloud computing में आपको मुख्यता तीन तरह की service दी जाती है जैसे- iaas, paas, saas का अपना एक अलग मतलब है जिसके बारे में हम अपनी इसी पोस्ट में बात करंगे।

Infrastructure as a service

IAAS में आपको क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर से Infrastructure rent पर मिलता है जैसे- सर्वर, वर्चुअल मशीन, ऑपरेटिंग सिस्टम, स्टोरेज और इसके लिए आपको प्रोवाइडर को pay करना पड़ता है। इससे आपको एक फायदा होता है ये सब कुछ on-demand उपलब्ध होता है।

जैसे- AWS, Microsoft Azure, Rackspace

Platform as a service

PAAS को क्लाउड कंप्यूटिंग में प्रोग्रामर के लिया बनाया गया है। यहां on-demand उन्हें प्लेटफार्म दिया जाता है जिससे वो नए सॉफ्टवेर डेवेलोप, रन, टेस्ट और मैनेज कर सकते है।

इसे ऐसे बनाया जाता है जिससे डेवलपर को अपना काम करने में कोई दिक्कत न हो। ये बहुत सारी लैंग्वेज और फ्रेमवर्क को सपोर्ट करता है जिससे डेवलपर का सॉफ्टवेर डेवलपमेंट काम बहुत सरल बन जाता है क्योंकि उसे यहाँ पर सभी जरुरी टूल्स मिल जाते है जो डेवलपमेंट में इस्तेमाल होते है। जैसे- Heroku, Force.com, Azure, Google app engine

Software as a sevice

SAAS को आप on-demand सॉफ्टवेर कह सकते है। क्लाउड कंप्यूटिंग की इस सर्विस में यूजर को उसकी जरूरत के सभी सॉफ्टवेर प्रोवाइडर द्वारा इन्टरनेट के माध्यम से दिए जाते है जिसे यूजर इन्टनेट और एक वेब ब्राउज़र के जरिये इस्तेमाल कर सकता है सर्विस प्रोवाइडर के द्वारा लाइसेंस, सिक्यूरिटी, अपडेट ये सब मैनेज किया जाता है। जैसे- Dropbox, ZenDesk, Salesforce

क्लाउड कम्प्यूटिंग का इतिहास (History of Cloud Computing in Hindi)

जब क्लाउड कंप्यूटिंग का कांसेप्ट नहीं था तो उस समय centralized storage का इस्तेमाल किया जाता था जहाँ सभी सॉफ्टवेर एप्लीकेशन फाइल्स स्टोर रहती थी और सारा डाटा और सर्वर साइड से मैनेज होता था। डाटा या सॉफ्टवेर यूज़ करने के लिए उस यूजर को सर्वर से कनेक्ट करना पड़ता था तब जाके वो उसके इस्तेमाल के लिए उपलब्ध हो पता था।

लेकिन जब Distributed computing का कांसेप्ट आया जहाँ सभी कंप्यूटर नेटवर्क के जरिये एक दुसरे से जुड़े होते थे और जरूरत पड़ने पर अपने resources को भी शेयर कर सकते थे। और यही से आगे चलकर क्लाउड कंप्यूटिंग का उदय हुआ।

साल 1999 में Salesforce नाम की कम्पनी ने इन्टरनेट के जरिये एप्लीकेशन के यूज़ को सम्भव बनाया और क्लाउड कंप्यूटिंग की शुरुआत हुई और बाद में साल 2002 में Amazon ने भी अपना क्लाउड बनाया जिसे हम AWS के नाम से जानते है और इस समय अमेज़न वेब सर्विसेज मार्केट को lead कर रही है।

इनके अलावा गूगल और माइक्रोसॉफ्ट भी क्लाउड सर्विस देते है और इनके क्लाउड भी काफी पोपुलर हो रहे है। माइक्रोसॉफ्ट का Azure मार्केट में दुसरे स्थान पर है और गूगल भी बहुत तेज़ी के साथ बढ़ रहा है।

क्लाउड कम्प्यूटिंग के फायदे (Advantages of Cloud Computing)

  • एक बार क्लाउड में डाटा स्टोर हो जाने पर उसके खोने के चांस बहुत ही कम हो जाते है क्योंकि यहाँ पर आपको डाटा बैकअप का आप्शन मिलता है जहाँ से डाटा को आसानी से रिस्टोर कर सकते है।
  • किसी आर्गेनाइजेशन को सॉफ्टवेर और हार्डवेयर को खरीदना नहीं पड़ता है और न ही कंपनी को उसके मेंटेनेंस से कोई लेना देना होता जिससे उसे ज्यदा खर्च नहीं करना पड़ता है।
  • आप Cloud services को अपने मोबाइल के जरिये भी यूज़ कर सकते है जैसे- गूगल ड्राइव।
  • क्लाउड कंप्यूटिंग में आपको उतना ही pay करना पड़ता है जितना आप यूज़ करते है। उसके अतिरिक्त आप से कुछ भी चार्ज नहीं किया जाता है इसके लिए प्रोवाइडर API’s का इस्तेमाल होता है।
  • यहाँ पर स्टोरेज का कोई issue नहीं है ऐसे में आप अपनी requirement के हिसाब जितनी कैपसिटी चाहिए आप ले सकते है।
  • क्लाउड सिक्यूरिटी में भी आगे है इसके लिए बहुत सारी सिक्यूरिटी आपको दी जाती है जिससे आपके डाटा को प्रोटेक्शन मिलता है इसके लिए यहाँ बहुत सी पोलिसी, फ़ायरवॉल का इस्तेमाल किया जाता है।
  • सभी सर्विसेज आपके लिए on-demand उपलब्ध होती है जिससे बस कुछ clicks से आप स्टोरेज, सॉफ्टवेर, टूल्स को इस्तेमाल कर सकते है तो यहाँ पर आपको स्पीड भी काफी तेज़ प्रोवाइड की जाती है।

क्लाउड कम्प्यूटिंग के नुकसान (Disadvantages of Cloud Computing)

  • आपकी सभी फाइल्स सॉफ्टवेर टूल्स क्लाउड में स्टोर रहते है। इनको एक्सेस करने के लिए आपके पास अच्छी इन्टरनेट कनेक्टिविटी होनी चाहिए नहीं तो आप इनका यूज़ नहीं कर पायंगे।
  • क्लाउड को एक थर्ड पार्टी मैनेज करती है जिसका सीधा-सा मतलब होता है कि आपके पास यहाँ पर पूरा कन्ट्रोल नहीं होता है।
  • एक सर्विस प्रोवाइडर से दुसरे पर सर्विस ट्रान्सफर करने में भी आपको थोड़ी समस्या का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि हर कंपनी अलग प्लेटफार्म का यूज़ करती है।
  • यहाँ पर आपको बेस्ट सिक्यूरिटी दी जाती है लेकिन किसी भी कंपनी की cloud service लेने से पहले आपको चेक कर लेना चाहिए क्यूंकि आप अपना सारा जरुरी डाटा उनके क्लाउड पर ट्रान्सफर कर रहे है।

क्लाउड कंप्यूटिंग के उपयोग (Uses of Cloud Computing)

हम सभी लोग आज के समय में क्लाउड कंप्यूटिंग का उपयोग करते है। भले ही आपको इसके बारे में जानकारी न हो लेकिन हर रोज किसी न किसी माध्यम से हम इसकी सर्विस को यूज़ करते है जैसे ऑनलाइन मूवी देखना, jio saavn पर म्यूजिक का आनन्द लेना, गेम खेलना, गूगल पिक्चर में अपने फोटोज देखना। इसके साथ Youtube का इस्तेमाल यह सब क्लाउड की वजह से ही सम्भव हो पाया है।

लेकिन ज्यदातर हम जिन सर्विस का इस्तेमाल अपने Daily Life में करते है वह सब फ्री अवेलेबल होती है जिनके लिए हमे कुछ भी Pay नहीं करना पड़ता है। मुझे लगता है आप सभी को Cloud Computing Kya Hai ये अच्छी तरह से समझ में आ गया है।

क्लाउड कंप्यूटिंग के उदाहरण (Applications of Cloud Computing)

आज लगभग सभी फील्ड में Cloud computing services का इस्तेमाल किया जा रहा है चाहे वो कितनी भी बड़ी फील्ड हो या छोटी हर जगह क्लाउड कंप्यूटिंग काम कर रहा है जिससे उन फील्ड की productivity भी बढ़ी है क्योंकि बहुत सारी चीज़े बस कुछ Clicks पर उपलब्ध है। यहाँ नीचे आप देख सकते है क्लाउड कहाँ कहाँ इस्तेमाल हो रहा है।

  • Online file storage
  • Video editing and making software
  • Anti virus applications
  • E-commerce field
  • Twitter
  • Facebook
  • Presentation software
  • Map related applications

FAQ

क्लाउड कम्प्यूटिंग क्या है?

क्लाउड कंप्यूटिंग एक टेक्नोलॉजी है जिसमे आप इन्टरनेट के माध्यम से कंप्यूटिंग सर्विसेज का इस्तेमाल कर सकते है। जैसे- टूल्स, सर्वर, डाटा स्टोरेज, सॉफ्टवेर इसके साथ ही आप इन सबको मैनेज भी कर सकते है।

क्लाउड कम्प्यूटिंग कितने प्रकार की होती है?

क्लाउड कंप्यूटिंग भी कई प्रकार की होती है। इसीलिए एक ही तरह का क्लाउड सभी के लिए सही नहीं होता है क्योंकि सभी की requirement अलग होती है और इन्ही के अनुसार क्लाउड को 3 पार्ट्स में बंटा जाता है:- Public cloud, Private cloud और Hybrid cloud

Conclusion

भले ही क्लाउड कंप्यूटिंग को आये हुए लगभग 20 साल हो गए है लेकिन आज भी ये टेक्नोलॉजी लगातार Grow कर रही है। आने वाले समय में आपको हर चीज़ क्लाउड पर उपलब्ध मिलेगी तो फ्यूचर में इसका बहुत ज्यादा Scope है। अगर किसी को अपना करियर इस फील्ड में बनाना है तो आपको इससे रिलेटेड सर्टिफिकेट और कोर्स करने चाहिए। अगर अभी भी आपके मन में Cloud Computing kya hai इससे जुड़ा कोई सवाल है तो आप कमेंट बॉक्स में पूछ सकते है।